ओम (ॐ) असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय ॥
ओम (ॐ) शान्ति शान्ति शान्तिः ॥
– बृहदारण्यकोपनिषद् 1.3.28
यह मंत्र बृहदारण्यक उपनिषद से लिया गया है |
आइए जानते हैं इस मंत्र का अर्थ क्या है ?
हिन्दी भावार्थ:
हे प्रभु! मुझे असत्य से सत्य की ओर ।
मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ।
और मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो॥
कई बार लोग इस श्लोक में निहित गूढ़ अर्थ के मायने समझ पाने में असमर्थ होते हैं.
यदि इसका अर्थ विस्तार से जाना जाए तो जिस तरह प्रातः सूर्य की किरणों से रात का अंधकार गायब हो जाता है. ठीक उसी तरह मनुष्य रात के अंधेरे को अपने साधनों से दूर करने में लगा है.