Patanjali YogSutra Quiz 5 - Yogaducation

Patanjali YogSutra Quiz 5

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Patanjali YogSutra Quiz 5

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अभ्यास करते करते शोक रहित प्रकाशमय प्रवृत्ति का अनुभव हो जाना मन को स्थिर करता है।

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राग द्वेष सर्वथा नष्ट हो चुके पुरुष को ध्येय बनाकर अभ्यास करने से चित्त स्थिर नहीं रहता

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क्या स्वप्न में अलौकिक ज्ञान के अनुभव का स्मरण करने से मन स्थिर हो सकता है?

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अपनी रुचि अनुसार अपने इष्ट का ध्यान करके भी अपने मन को स्थिर कर सकते हैं ।

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सूक्ष्म से लेकर बड़े पदार्थ या चाहे जहां मन को स्थिर करने का की परिपक्वता कैसे प्राप्त होगी?

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चित्त को निर्मल करके साधक में क्या योग्यता आ जाती है

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जब साधक का मन स्वच्छ एवं निर्मल हो जाता है वह क्या स्थिति है?

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जब हमें किसी पदार्थ के सही स्वरूप व अर्थ का ज्ञान हो जाता है वह सवितर्क समाधि कहलाती है ?

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वह स्थिति जब साधक अपना स्वरूप भूलकर शून्य अवस्था में चला जाता है।

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सुविचार समाधि क्या है?

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अलिंग अर्थात मूल प्रकृति ही, जड़ पदार्थों की सूक्ष्म स्थिति है।

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सवितर्क, निर्वितर्क, सविचार तथा निर्विचार समाधि किसके प्रकार हैं ?

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निर्विचार समाधि के अभ्यास से योगी का चित्त निर्मल होकर परिपक्व हो जाता है ।

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ऋतंभरा प्रज्ञा का अर्थ क्या है?

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श्रवण एवं अनुमान से होने वाली बुद्धि से ऋतंभरा प्रज्ञा का विषय भिन्न एवं श्रेष्ठ है ।

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ऋतंभरा प्रज्ञा का महत्व क्या है?

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आध्यात्मिक प्रसाद का अनुभव किस समाधि से प्राप्त होता है?

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योग मार्ग की वह स्थिति बताएं जब सभी प्रकार के संस्कारों (चाहे अच्छे या बुरे ) का समूल नाश हो जाता है उनका बीज भी शेष ना रहे ।

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योग मार्ग की वह स्थिति बताएं जब सभी प्रकार के संस्कारों (चाहे अच्छे या बुरे ) का समूल नाश हो जाता है उनका बीज भी शेष ना रहे ।

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2 thoughts on “Patanjali YogSutra Quiz 5”

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