मालवीय जयंती: पं. मदनमोहन मालवीय जी का जीवन परिचय - Yogaducation

मालवीय जयंती: पं. मदनमोहन मालवीय जी का जीवन परिचय

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पं. मदनमोहन मालवीय जी का जीवन परिचय

क्या आपको पता है –

1. मालवीय जी ने ही कांग्रेस के सभापति के रूप में सुझाया था कि “सत्यमेव जयते” को भारत का राष्ट्रीय उद्घोष वाक्य स्वीकार किया जाय।

2. उन्होंने हरिद्वार में “हर की पौड़ी” पर गंगा आरती का आयोजन किया जो आज तक चल रहा है।

3. हरिद्वार में घाट के निकट ही स्थित एक छोटे से द्वीप का नाम “मालवीय द्वीप” रखा गया है।

4. सन् 1916 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी.

5. वे भारत के पहले और अंतिम व्यक्ति थे जिन्हें ‘महामना‘ की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया।

6. 22 जनवरी 2016 को महामना एक्सप्रेस चलायी गयी जो वाराणसी से दिल्ली के बीच चलती है।

पं. मदनमोहन मालवीय जी का जन्म 25 दिसंबर, 1861 को इलाहाबाद में हुआ था।इनके पिता का नाम पं० ब्रजनाथ व माता का नाम मूनादेवी था। वह अपने माता-पिता से उत्पन्न कुल सात भाई बहनों में पाँचवें पुत्र थे। पिता पण्डित ब्रजनाथजी संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड विद्वान थे। वे श्रीमद्भागवत की कथा सुनाकर अपनी आजीविका अर्जित करते थे।

 

सिर जाय तो जाय प्रभु! मेरो धर्म न जाय” मालवीयजी का जीवन व्रत था जिससे उनका वैयक्तिक और सार्वजनिक जीवन समान रूप से प्रभावित था। यह आदर्श उन्हें बचपन में ही अपन पितामह प्रेमधर श्रीवास्तव, जिन्होंने 108 दिन निरन्तर 108 बार श्रीमद्भागवत का पारायण किया था, उनसे राधा-कृष्ण की अनन्य भक्ति, पिता ब्रजनाथजी की भागवत-कथा से धर्म-प्रचार एवं माता मूनादेवी से दुखियों की सेवा करने का स्वभाव प्राप्त हुआ था।

 

इन्होने सन् 1916 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. मालवीय जी संस्कृत, हिन्दी तथा अंग्रेजी तीनों ही भाषाओं के ज्ञाता थे। उनकी भविष्यवाणी थी कि एक दिन हिन्दी ही देश की राष्ट्रभाषा होगी। 12 नवंबर1946 को मालवीय जी का निधन हो गया था और वे देश को स्वतंत्र होते नहीं देख सके थे।

 

मालवीय भवन में मालवीय जी शाम को गीता का पाठ करते थे. उनकी स्मृति में आज भी यहां गीता का पाठ जारी है. यहीं नहीं मालवीय जी की प्रेरणा से 1975 में यहां योग साधना की शुरुआत की गई थी. तबसे यह साधना अनवरत जारी है. वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया. 2011 में भारत सरकार ने उनकी स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया। 24 दिसम्बर 2014 को भारत सरकार ने उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया। 22जनवरी 2016 को महामना एक्सप्रेस चलायी गयी जो वाराणसी से दिल्ली के बीच चलती है।


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